काठमाडौं । सन १९३७ नोभेम्वर १२ मा अफगानिस्तानको काबुलमा जन्मिएका बरिष्ठ अभिनेता/कमेडी बादशाह कादर खानको उपचारका क्रममा मंगलवार क्यानडामा देहावसान भयो । उहाँ अभिनेताका अलावा फिल्म निर्देशक र संवाद लेखकका रुपमा पनि परिचित हुनुहुन्थ्यो । उहाँले लगभग ३०० फिल्ममा अभिनय र २०० फिल्ममा स्कृप्ट लेखकको रुपमा पनि काम गर्नुभयो । १९७० यता उहाँले अमिताभ बच्चन, जितेन्द्रलगायतका भारतका अधिकांश दिग्गज कलाकारसँग सहकार्य गर्नुभएको छ । सिभिल ईन्जिनियरीङका प्रोफेसर समेत रहेका खानले सन १९७३ मा ‘दाग’ फिल्मबाट अभिनय यात्राको शुरुवात गर्नुभएको थियो । मुख्य पात्रका रुपमा राजेश खन्नाको अभिनय रहेको सो फिल्ममा कादर खानले अधिवक्ताको भुमिका निर्वाह गर्नुभएको छ ।
डायलगहरुः–१. ‘हम नहीं तिर और तलवार से मरने वाले, कत्ल करना है तो एक तिरछी नजर काफी है’...–हम२. ‘दिनानाथ चौहान...नाम है मेरा से लेकर मैं जहाँ खडा होता हुं, लाईन वहीं से शुरु होती है’...३. ‘तुम्हारी उम्र मेरे मर्जुबे से बहुत कम है, तुमने उतनी दीवालियां नहीं देखीं जितनी मैनें तुम जैसे बिकने वालोको बर्बादियां देखी हैं’–जैसी करनी वैसी भरनी४. ‘सुख तो बेवफा तवायफ की तरह है...जो आज इसके पास, कल उसके पास’–जैसी करनी वैसी भरनी५. ‘जिंदगी तो खुदकी रहमत है, जो नहीं सम्झा उसकी जिंदगी पे लानत’–नसीब६. ‘लानत है, ना पेट में दाना है, ला लोटे में पानी है, ना बंडल में बीडी है, ना माचिस में तीली है’– बाप नंबरी बेटा दस नंबरी७. ‘मालिक, मुझे मालुम नहीं था की आप मेरे पीछे खडे हैं, मै सम्झा कोई जानवर अपनी सींग से खटमल्लु चला रहा है’–हिम्मतवाला८. ‘अरे क्या गजव करते हो सेक्रेटर साहब ? क्यों मोहब्बत के शीशे को बढापे के पथ्थर से तोड रहे हो’– दुल्हे राजा९. ‘सरकार अगर इस गांव के सर हैं, तो मैं उस सरका सींग हूं, और जो हमारी बात नहीं मानता मैं उसे सींग मार कर सिंगापुर बना देता हुं’–हिम्मतवाला१०. ‘बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाह रख्खा है अपने साथ, बाजु पर ७८६ का है बिल्ला, २० नंबर की बीडी पीता हुं ओर नाम है इकबाल–कुली१२. ‘सुख तो बेवफा है आता है जाता है, दख ही आफ्ना साथी है, अपने साथ रहता है, दुख को अपना ले तब तकदीर तेरे कदमों में होगी और तु मुकद्दर का बादशाह होगा’ – मुकद्दर का सिकंदर (फिल्ममा फकीर बाबा बनेका कादर, अमिताभ बच्चनलाई जिंदगी को मर्म सम्झाउछन)१३. ‘दारु पीता नहीं है अपुन, क्योंकी मालुम है दारु पीने से लीवर खराव हो जाता है, लीवर’–सत्ते पे सत्ता१४. ‘किसी आदमी की सीरत अगर जानती हो तो उसकी सुरत नहीं उसके पैरो की तरफ देखना चाहिए, उसके कपडों को नहीं उसके जुत्तों की तरफ देख लेना चाहिए’–हम१५. ‘ऐसे तोहफे देने वाला दोस्त नहीं होता है, तेरे बाप ने ४० साल मुंबई पर हुकूमत की है, इन खिलौनों के बल पर नहीं अपने दम पर’–अंगार१६. ‘आप हैं किस मर्ज की दवा, घर मैं बैठे रहते हैं, य शेर मारना मेरा काम है ? कोई मवाली स्मग्लर हो तो मारुं मैं शेर क्यों मारुं, मैं तो खिसक रहा हुं और आपमें चमत्कार नहीं है तो आप भी खिसक लो’–मिस्टर नटवरलालअभिनेता कादर खानप्रति भावपूर्ण श्रद्धाञ्जली । (एजेन्सिबाट)